हालती हो तो हाल छोरी तु,

माघ पुनम ना मेला मयं।

टीली लई आलुं, फुंदी लई आलुं

अज़ी कंये तो मुं गज़रो लयं।

पुनम ना मेला मयं मात्र भक्ति नो

भाव गणो वपराये।

मुं हेंडू जो मेला मयं तो हंगरा अे साथे थयं,

उण्णी लई आलुं, झुण्णी लई आलुं अजी कयं।

तो मुं घुघरा लयं।

हालती हो तो हाल छोरी तु,

माघ पुनम ना मेला मयं।

उतरायण नी तोल पापड़ी खाई-खाई इतराये

घाटा हांटा खावा बोरं अे कैया मेला मयं जाये।

मोबाइल लई आलुं रिचार्‌ज जुई आलुं

अजी कयं तू तो मिसकॉल दयं।

हालती हो तो हाल छोरी तु,

माघ पुनम ना मेला मयं।

खंबा माथे हाथ मेलीने छूटू तो फरवा मल है।

गुटखं पान तमाखु बीड़ी जि अे सब चाल है।

कोणी दई आलुं, धक्का दई आलुं,

अजी कयें तो मुं धपका दयं।

हालती हो तो हाल छोरी तू,

माघ पुनम ना मेला मयं।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : महेश देव भट्ट ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : अपरंच प्रकाशन
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