आंख्यां खोली नांव धरयो

मायड़ थारै आंगणियै

मार पालथी दूध पीयो

मायड़ थारै आंगणियै

नान्हा नान्हा पगां चालती

भर किलकार्‌यां हेला घालती

भाग-भाग लूड़ियो पकड़ियो

मायड़ थारै आंगणियै

हंस-हंस फूल बिखेरया करती

पकड़ हाथ थारै कांधै चढती

रो-रो घर नैं ऊंधो कर लियो

मायड़ थारै आंगणियै

हाथां सूं थारै चूंटयो खाती

भर-भर धोबा धूड़ उडाती

पाणी में चांद पकड़ियो

मायड़ थारै आंगणियै

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : निशा आर्य ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य-संस्कृति पीठ
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