सांच खरी रा आखर वे
और खारो भी लागे
अर
अपाने सुनणो भी पड़सी
आज फेर सूं
अखबारा में
लिखण री
परंपरा निभावता थका
बतावैला बे काई काई करियों
मानता खातर
चार, पांच
मनमाही मोटा विद्वाना री
पोथी छपगी,
लारली बार री छपयोडी
पोथिया रै
लिखारा नै इन बार
मान करियो
सुबह सूं शाम
तक मोटी मूंछा वाला
पांच सात स्मृति ले लेय।
अर व्यारी हां हजूरी करण वाला
नुवा विद्वान बणैला.....
अर
साफ़ कांच बतावण
वाला नै मिलेळा धक्को
एक मायड़ दिवस
और मनीजगो......