मौत
सूं
सगळा नै
अेक जित्तो ई
डर लागै
फेर भलांई
मजूर हुवै
चाहे राजा
मौत सांपड़तै
हे’ला मारे
आज्या-आज्या।
स्रोत
-
पोथी : राजस्थली
,
-
सिरजक : मनोजकुमार स्वामी
,
-
संपादक : श्याम महर्षि
,
-
प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य संस्कृति पीठ राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति (बीकानेर)