माथा पै बेवड़ो उठायां वा
भागीरथ जी भल्यां ही न्हं होवै
पण वांसूं कम भी तो कोय न्हं ऊंकौ तप
जे नत उठ’र खेंचळ करै छै अलूंठी
परिवार की तिस बुझाबा बेई
अर मांगे भी कोय न्हं
गंगाजी भूम पै ले आबा कौ जस...
ध्यान सूं देखो
यो बेवड़ो फगत बेवड़ो कोय न्हं
साग्सात समदर छै
जम्यो छै जीं पै ऊं का पसेवा कौ खार
ईं बेवड़ा में जे पाणी ही होतो फगत
तो म्हां ई कस्यां मिलतो
इमरत हळक में उतारबा कौ सुख
चळु करतां ही
कुण न्हं जाणे
के समदर पै ही इमरत पाड़ै छै पाणै...
माथा पै बेवड़ो उठायां वा
सैंसनाग भल्यां ही न्हं होवै
पण कम कोय न्हं ऊंकौ महत्त सैंसनाग सूं
जाणै ऊंनै ही उठा मेल्यो होवै बोझो
सगळा जमारा कौ,
ईं बेवड़ा का सरूप में...
म्हूं जद भी देखूं छूं
ऊंकै तांई अस्यां ही माथा पै धर्यां बेवड़ो,
आपूं आप सरधा सूं जुड़ ज्यावै छै म्हारा हाथ
के म्हंई तो ऊंका अस्तित्व में ही दरस दे द्ये छै
छत्तीस करोड़ देवी-देवता