माटी नै

निरथक करार देवण सूं पै'ली

घणौ जरूरी है

जाणणौ

कै कांई कांई लुवयोडो है

उण रै अखूट खजाने मांय

उण रै भीतर

उण रै मांथलै पानै मांय?

नईं

खोदण री जरूरत नईं है

खोंदा क्यूं म्हे?

घणो हुवैलो

इण तांई

कोई एक खिल्योड़ो फूल देखणौ।

रस, रूप, गंध, उस्मां

गति, विकास, पराग.

छोड़ो...

गिण नईं पावोला थे

बेथाग।

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो ,
  • सिरजक : शंकरलाल मीणा
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