आजकाल

जद लोगां सूं सुणूं

'मसीनी जुग आयग्यो है,

अबै मिनख रा काम मसीन करैली।'

तद सोचूं—

कांई अबै मिनखां रो जमानो गयो

अर मसीनां रो जमानो आयग्यो?

स्यात जणै अबै मानखो

दिनूगै सूं लेय'र सिंझ्या ताई

अर जलम सूं लेय'र मरण तांई

मसीन बण्यो भाज्यो फिरै।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : गीता सामौर ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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