लिछमी जैड़ी अैन बोदड़ी।

म्हारी छोटी बै’न बोदड़ी।

पै’ल दूज आंगण में खेलै।

समझै मा री सैन बोदड़ी।

सूई में डोरो पोवण नै।

दादी जी रा नैन बोदड़ी।

म्हे बूझां जद घर री नेमत।

बाबो सा कै है बोदड़ी।

टुर जासी चुपचाप सासरै।

बिन बोल्यां कीं बै’न बोदड़ी।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 5 ,
  • सिरजक : जनकराज पारीक ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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