‘कांकड़’ सूं बंधो

कांकड़-डोरडां सूं बधण आळा

अपार नीं है आजादी

मरजादा सूं भर्‌यो है सरीर!

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : बी. एल. माली ‘अशांत’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि
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