जग में मारग दोय

अेक ग्यांन रौ दूजौ अग्यांन तणौ

ग्यांन रा मारग दोय

अेक संवळौ दूजौ अंवळौ

फेर

संवळा रा मारग दोय

अेक बूझ दूजौ अबूझ

फैर बूझण रा मारग दोय

अेक पढण रौ दूजौ सुणण रौ

फैर पढण रा मारग दोय

अेक बांचण रौ दूजौ नीं बांचण रौ

फैर बांचण रा मारग दोय

अेक लिख्योड़ौ रौ दूजौ अणमंड्या रौ

फेर लिखण रा मारग दोय

अेक दीसतौ दूजौ अणदीसतौ

लांबी गांगरत है

पण

किणी अदीठ गांव में

किणी अदीठ आदमी रै

किणी अदीठ उणियारै

रांड विधाता रा मांड्योड़ा अदीठ आखर

बांच

म्हैं इण निस्तारा तांणी पूग्यौ

के इण बाबत अर

इण माथै बैस फिजूल है

के पैली आंक जलम्यौ के आखर?

केवै तौ है पाठकां!

के भणणा बिच्चै गुणणौ सदाई वत्तौ

जे म्हैं कैयदूं के गुणणा बिच्चै भणणौ वत्तौ

तौ रीस-आमनौ मत करज्यौ

क्यू के म्हैं कवि हूं

अर आप म्हारा पाठक

निवेड़ौ व्हैग्यौ

अबै इण माथै बैस अकारथ

आप समझ्या नीं

अेक मारग हौ

मारग कांई गळी ही

जिण मांय कर म्हैं निसरग्यौ

यूं रा यूं

अै आंक अर आखर

दोनूं आपौ आपरी गळक्यां सूं निकळता

आज पाछा अपांणै बिचाळै

आय पूगा है

आया है तौ समवड़ करणी पड़ैला

पण

पाछौ बैस रौ मुद्दो

के आं दोन मांय सूं

करां पैली किणरी मनवार

आज के जद

बैस रै चुरवणां

ईंडौ खाइजै अर कूकड़ी

अबै कुण पैली आयो

अैड़ी बिलळी बात फिजूल है

सवाल है

के किस्यौ पैली जावै

आंक के आखर

अपां भेळा व्हैय

ढोलां रै ढमकै फळसा तांणी पूगावण नै त्यार हां

पण दोनू मांय सूं

कोई व्हीर तौ व्है

मारग एक है

दोनू रै आवण रौ

अर जावण रौ

आवौ अपां मारग नै मनावां

स्यात वौ कोई अेक नै लेय व्हीर व्है जावै!

स्रोत
  • पोथी : मारग ,
  • सिरजक : चंद्रप्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : देवल प्रकासन, गोटीपा
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