मंगती नै कूट'र

मिन्दर रो मारग खुलवायो है

स्यात कोई मोटो आदमी

मोटो सारो छत्तर लेय'र आयो है

जणां ही तो

पेलां आरा छोटीया छत्तर

मे'ल दिन्यां मांय

अब मांय कठै सी'क

तो मांयला ही जाणै

बारला तो जाणै

फगत घंटो।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी