नागा जलमै सैंग

गाभा पैर परा सूधा दीसण लागै

पण मांय तौ नागा रैवै

घर-घर बुद्धू-बक्सै रौ रोग—

नागी नाचै नार

नागा नाचै लोग

नागां नै नागा देखे

अर

बिना नागा देखै!

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : सांवर दइया ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी