मोतीड़ां रो हार मांनखौ
धरती रो सिणगार मांनखौ
भोळौ-ढाळौ जीव बापड़ौ
संकर रो अवतार मांनखौ
मारग आया अटकावां सूं
कद मानै है हार मांनखौ
ओ दो पग्गौ घणौ चतुर है
मतळब में हुंस्यार मांनखौ
यूं तो कंवळौ फूल फूटरौ
अर यूं है तलवार मांनखौ
निरौ आळसी जीव निसड्डौ
इण धरती रो भार मांनखौ
ओ गरबीलौ घणौ गुमानी
मरण मिटण नै त्यार मानखौ
चांद अर सूरज हेठैं न्हां कै
जे मन में ले धार मांनखौ
अे पंपाळ मिटैला किण दिन
बैठौ करै विचार मांनखौ
मूंडै माथै मीठौ बोलै
मन में राखै खार मांनखौ
गुड़ में जहर देवै ओ डाकी
मीठी मारै मार मांनखौ
काम करै वो अवस पूगतौ
जद पड़ जावै लार मांनखौ
अेक पेट नैं भरणौ सारूं
ऊद्यम करै हजार मांनखौ
चील उडै तो भैंस उडादे
बातां रो है नार मांनखौ
साची कैवूं मतळब सारूं
इज्जत धरै उधार मांनखौ
दुख झेलै पण बोलै कोनीं
ऐहड़ी ठाडी गार मांनखौ
कुण जाणै विकराळ समंद सूं
कद पावैला पार मांनखौ
आ मत जाणौ के मुड़दो है
बिजळी रो है तार मांनखौ
मोतीड़ा रो हार मांनखौ
धरती रो सिणगार मांनखौ