जातिए, धरम ना फिरका घणा

बोलिये अने रंग जूदा

पण -

भूख, तर, हा (श्वांस) एक

नैंदर, प्रेम नो रंग एक

सबनी एक खून नी धारा |

पसै -

मानवी-मानवी में फिरको केम?

डिल माते क्यं लक्यु है -

हिन्दू, तुरक, ईसाई नु नाम?

काशी, काबा, यरुशलम नु ठाम

मानवी-मानवी ने केम वांटै?

मानवी नी है एक जात

नती एणनी कोई वांक!

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री ,
  • सिरजक : जवाहर 'तरुण' ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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