वखेराई ग्या मणका माला ना
जैम वखेराइ ग्यु आ मन...
घणू खोटू लागे
वखेराई जयें मणका
जारै वखेराई जाये खोळिया नो विस्वास
मणका आलें हाता
नखे कर चिंता
आवेगा दाड़ो थारो भी
थारो भी कारे’क त
वाड़ जो न्हें गणं आंगरियं ना वेड़ा
कैम विचारे मणका।