इण गत नै ओळख मां

इण गत नै ओळख

जठै म्हैं म्हारी मनस्या हूं

थूं थारौ संकळप

थूं थारौ संकळप होय'र

म्हारी मनस्या होवै

म्हैं म्हारी मनस्या होय'र थारौ संकळप

इण गत नै ओळख मां

इण गत नै ओळख!

स्रोत
  • पोथी : कठैई कीं व्हेगी है ,
  • सिरजक : तेजसिंह जोधा ,
  • प्रकाशक : तेज प्रकाशन, बीकानेर
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