वो

कूटै मुरड

भांगै भाखर

ऊंचावै तगारियां

पसेवौ पूंछ

अंगोछै सूं बायरौ करै

पिसाब करण री छुट लेय

बिसांमी खावैI

थोड़ै आंतरै बैठौ है

उणरौ नांनकियौ,

जोवै है बाट

सूरज रे डूबण री

रोलर रै चकै हेटै

किचरीजता उणरा सपना

टसकता टसकता बोलै

खाली होवती बाल्टियां सूंI

वो धोवै

मन रौ मैल

पण घणौ दोरौ है

रोकणौ

सिळगती बीड़ी सूं

निकळती चिणक नै

टंकियां ‌मांय ऊकळती लाय

अर पिघळतौ डम्बर

देवै चांनणौ

उण नै

जिणरी सड़क अजे अधबीटी है

भरीजतौ धुंऔ

धीमी पड़ती लपट

अर बुझता अंगारा

थांमणी चावै

डील रो थाकैलौ,

पण

फाटोड़ी अेड़ियां वाळा पग

देवै धक्कौ

जांणै डलेवर चालती गाडी

फैंक देवै बीड़ी बारै

लीर लीर साफै सूं

ढकणी चावै घर री लाज

पण फाटोड़ी जेब रा सगळा तीणां

उणरै गुमेज नै घायल कर

चिळकता रैवैI

होठ अर जीभ री छेटी नै

नापती

कांकरी री खंख

पूगै

ठेठ ताळवै,

सुवाद रै ताळौ देय

वो घालतौ रैवै लकड़ियां,

जमावतौ

जुगां जुगां रा आंक

बिछावतौ बजरी

रीस करै आपरी छीयां माथै ईI

उणनै दबावतौ

पटकै पग

घड़ी घड़ी पूछै

अेक सवाल

कीकर आई?

क्यूं नीं भचीड़ियौ आडौ

कालै रात रा?

क्यूं नीं घालियौ तेल

बडी होवती चिमनी में?

बटीजतौ डील

उफणती आंखियां

कसीजता हाथ गैंती माथै

खींच उठायलै

माथै तांई ... भच्च,

छाती उतरता हाथ

भूल जावै आपरौ मारग

पगां पूगियोड़ी नीजर

होय जावै माटी सूं अेक मेकI

खींचतौ गाडौ

आइठांणी हथाळियां सूं

मांडणी चावै कोरमौ

रेखावां रै असवाड़ै पसवाड़ैI

उण कद देखियौ

सूरज रौ डूबणौ

अर ऊगतौ चांनणौ

उणरी ऊगण-आथमण

पेट रौ पंपाळ घांणी रै बळद दांई

फगत चकारा देवती रैवैI

स्रोत
  • पोथी : आप कठी कांनी हौ ,
  • सिरजक : अर्जुनदेव चारण ,
  • प्रकाशक : रस्मत जोधपुर ,
  • संस्करण : pratham