म्हैं तन री तगारी बणा'र

लोगां रा आसरा चिण दीन्हा

ईं आस में कै

म्हैं भी घर बणाऊंळो

होळै होळै उमर ढलगी

तन भी थाक ग्यौ

हाड पाक ग्या,

पण आसरो कच्चो ई'ज है

क्यूं'क म्हैं मजूर हूं,मजबूर हूं।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : पवन कुमार राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी