तै है कै

हर फूल नै

मुरझाय’र खिरणौ है

अबै फूल तै करै कै

उणनै बाग नै

महकावणौ है.!

कै

बाग में ओळबा

काढ़तां-काढ़तां इज

मुरझाय’र खिर जावणौ है।

स्रोत
  • पोथी : आळोच ,
  • सिरजक : डॉ. धनंजया अमरावत ,
  • प्रकाशक : रॉयल पब्लिकेशन, रातानाडा, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : प्रथम
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