झिलमिल चांनणी, अंबर में चंदौ चमकै रै,
ऊजळी धरती पर देखौ इमरत बरसै रै,
महिनौ सांवण रौ,
कोई घुरतां रै नंगाड़े आयौ रै, महिनौ सावण रौ।
धुर आथुणां देखौ भाया काळी काठळ आई रै,
बादळिया बण बिनणियां नै मन मुस्काई रै,
महिनौ सावण रौ।
इंदर आयौ आज पांवणौ धरती माथै बरसै रै,
कैर नींबड़ी खैजड़ळा सै हरिया सरसै रै,
महिनौ सावण रौ।
खैतां में खळबळियां मचगी, ऊण्डा हळिया हाकै रै,
वैळा रा वायौड़ा निपजै, मोती पाकै रे,
महिनौ सावण रौ।
टाबरिया किलकारियां मारै, आँख मींचणी खेलै रे,
सरवरियां री पाळ माथै मौर बौलै रे,
महिनौ सावण रौ।
सावण महिनै सायब आसी, भावज नणदल कैवै रै,
साथणियां तौ सगळी मिळनै हीण्डा हीण्डै रे,
महिनौ सावण रौ।
आंगणियां में भीड़ लागी, ढोल नगाड़ा बाजै रै,
बाईसा रा बीरा आया म्हारौ मनड़ौ लाजै रै,
महिनौ सावण रौ।