कुण कै'देवै

इन नै कीड़ी नगरो

चावै

कीड्यां आवै-जावै

भंवै

बिलां दर बिलां

पड़तख है

माटी बणी बंसरी

बंसरी रै बेजां

भंवै कीड्यां

सुणै

मधरी-मधरी राग

जकी भंवै हाल

गवाळियां रै कंठा निसर

काळीबंगा रै सूनै थेड़ थिर

सूनी गळियां।

स्रोत
  • पोथी : आंख भर चितराम ,
  • सिरजक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण