कैने तर लागे नै कोणं पीए पाणी

म्होटा—आ कलजुग है।

मईशागर नती के

गाम नों गोयरौ आवै।

हंगरा थावरा राजा बणी ग्या

नैं लालियौ-नें लालियो!

जमारो थावरा नों है

जमारो पाणी नों है

लालिया तै जाजेम पातरीं।

आपड़े नती पड़वू आणी पंचायत मैं-

आपड़ो आम्बो नती आव्यो आणे ओनारै।

आंबो एकतरै आवै

तू हेरतै करै लाणू।

रेवादै परगम नूँ तीरथ

गाम नँ देवरं नानं नती।

सोड़ मंदर नां मादेव

आपड़े मादेव हँ

नैं आपड़े पुजारी।

सोमासो आवे नै साली पड़े रैला

मईशागर नां भाटा-जोना जएं नवा आवै।

साल मादेव, साल पुजारा

अवे तर लागी

साल अभिषेक करँ।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : शैलेन्द्र उपाध्याय ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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