मचा देवै हलचल हर डील में,

तजै पुराणी रीत।

दिखा अरै बिणजारा म्हनै,

कोई अैड़ो गीत।

मून ताड़दौ तान जिकै री,

गूंजै सरणाटै में।

खरो माल जे थां रो,

तो नीं रैसी तूं घाटै में।

जिको बदळदौ आज,

मानखै री फिटेड़ी नीत।

फस्या पेट रै भंवर जाळ में,

लूण तेल रा झगडा।

काळ-दुकाळ बोट सरपंची,

अर आपस रा रगड़ा।

मिनख-मिनख रै बीच खिंचेड़ी,

तोड़ देवै बा भींत।

किण सूं करां बचाव बता तूं

हाथ, हाथ नै खावै।

हुवै कसूण जद सोन चिड़कली,

नित बैठै डावै।

अैड़ा सबद दिखा जैड़ा,

लेवै सब रो मन जीत।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : मंगत बादल ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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