मानखै रै आंगणै माय

हेत रौ लोटियो

थोड़ो 'डिम' है

बाकी च्यानणै री कमी कोनी

म्हारै स्हैर में।

स्रोत
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोडी़