लालो अब पालणियै आसी

मा रो जीव घणो हरखासी

हळकै हींडां नींद बुलासी

टूल टूल सै जीव लुभासी

फूल फूल हिय कळी खिलासी

लालो अब पालणियै आसी

मां रो जीव घणो हरखासी

मुळक मुळक बो चांद लजासी

मीठी बोली बीण बजासी

घर में सुख री लहर बहासी

लालो अब पालणियै आसी

मा रो जीव घणो हरखासी।

स्रोत
  • पोथी : बाळसाद ,
  • सिरजक : चन्द्रसिंह ,
  • प्रकाशक : चांद जळेरी प्रकासन, जयपुर
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