कांई मांणस नीं हुवै

उण कीड़ी री भांत

जिकी भाजनै आवै

नाज-कण री सौरम

भरण पेट?

कांई मांणस नीं हुवै

उण कीड़ी री भांत

जिकी भाजनै आवै

काटेड़ै नख री सौरम

भरण पेट?

कांई मांणस नीं हुवै

उण कीड़ी री भांत

जिकी भाजनै आवै

लट्टू चांनणे

मरेड़ै जीव नै देख

भरण पेट?

कांई मांणस नीं हुवै

उण कीड़ी री भांत

जिकी भाजनै आवै

घाव माथलै खरूंट- रस

भरण पेट?

कांई मांणस नीं हुवै

उण कीड़ी री भांत

जिकी भाजनै आवै

किणी बीजै रै जीमण थाळ

भरण पेट?

पछै मांणस नै

कीड़ी क्यूं नीं मानीजै?

कीड़ी तौ हुवै मांणस

लोकराज रै जुग

भूखे पेट!!

स्रोत
  • सिरजक : दुलाराम सहारण ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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