रोसनी का रूँख तो
लाग रैया छै
पैली सूं ई
देस मै।
आपां करां
वाँकी देखभाळ
देखाँ-कस्याँ पड़ै छै
काळ।
क्हाँ टक पावै छै
अंध्यारान का पाँव।
जठी जावला-उठी
उजाळो ई पावैला।
लगा सकै छै
रिसी मुनी ई।
मूल्यान की रोसनी
होवै छै सबसूँ
स्वावणी।