अेक कानी पीसीजे छै

अकलो मिनख

कारखानां री चोभीतो मैं

पर वींरी कींनै परवाह छै

काँई वींरी भी कोई चाह छै

अै अटारयां तारा रै लूम री

आं रा पगोथ्यां री पिरथी माळै धूम री

महल माळिया मोकळा छै गुदपुद|

रंग बिरंगा देख्या भूलीजै सुदबुद

आंरो भीतां चिलके छै गमेज सू

घणां दिब्ब तेज सूं

भागवानी री मनभांवती ओप सूं

बैठ्या छै आं रै भीतर

आपो भूल'र

काळजा रा कन्हैया नै

हिवड़ा रा हरिहर नैं

अमल री डळी देयर

गहरी मींट दिराय'र

इस्या खुदगरजी राकस ही, बद रिया छैक नां

जद, कियां सकै छै रघुवर,

आं रो पापो काटयां बिनां

पण आसी अवर जरूर आसी

वीं दिन वो दीनबन्धु दीनानाथ

जी दिन ईं धरती सूं

पूरा होसी अै खुदगरजी राकस सारा

होसी करम धरम मैं दीछित अै मिनख सारा

वीं दिन तो मैं जागती जोत सैंचन्नण

घणी चिलकूंली

झुपड़ियां माळे या धमकूंली

वीं दिन

की दिन

जो दिन

अन्यायी रो दिवलो निनैलो।

अवर राम राज्य रो

अवर राम री जय जयकार रो

दिवलो चसैलो

मैं देख्यो सारा दिवला थिर होग्या छै

चपचपाता होयर क्यूं सोचरिया छै

कांई गप्प ही छै

या बात में कोई दम भी छै।

जद जद धर्म री हवे हाण

राकसा रा बधै आपाण

भगवान ओतार लेवै

भगत जकां नै सेवै

दुखियां रा दुख भागै

घर घर दिवळा जागै

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : सवाईसिंह धमोरा ,
  • संपादक : दीनदयाल ओझा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित संगम अकादमी
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