लिखै जिस्यो ई दीख भायला।
मत ना छोडै लीक भायला॥
मन को सगळो का'ड बफारो,
आव बैठ नजदीक भायला।
नहीं धूप में धोळा करिया,
मान बडां री सीख भायला।
खुद रो पेट गंडकड़ा भर ले,
सुण भूखां री चीख भायला।
आंधां आगै दीदा खोणां,
ईसर आगै झींक भायला।
झूठ लफंगाई सगळां में,
कोई नै भी टीक भायला।
तूं मतदाता मन रो मौजी,
बात नहीं आ ठीक भायला।
उठ, बोट रौ मार झपीड़ो,
मत मांगै यूं भीख भायला।
गयो बगत पाछो नीं आंणो,
भूंडी घणी उडीक भायला।
कांई खांयां मिटै मांदगी,
भायां बिचली तीख भायला।
लांग्या लेगा बोट लूट कै,
मिटगी वां रा पीक भायला।
मान ‘मऊ’ नांजोगो शासन,
बाळ लगा दे सींक भायला।