थारै गाडै री चरकचूं

म्हनै म्हारी चरकडंडी री दांई

चरकचूं लागैI

थारै झूठल-ऊंट री झागारोळ

म्हनै म्हारै मास्टरजी री

रीस लागैI

थारी घालेड़ी खेत हळाई

म्हनै म्हारै किताब-पाठ रा

पैरा लागैI

थारै हळ रौ स्यारौ,

स्यारै री अणी

म्हनै म्हारै कलम री

निभ लागैI

लागै तौ लागै

म्हनै तौ इयां लागै!

बाबा!

धिगांणौ करै तौ कर

म्हनै तौ इयां लागै!!

स्रोत
  • सिरजक : दुलाराम सहारण ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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