लाल धजा री आंण फिरै, जद कमतरियां री दसा घिरै।

बीत्या जुग मैनत करतां नै, धरती धन निपजातां नै,

माखण लाल मुफत में जातां, छाछ मलीचो खातां नै,

अबै हथोड़ौ-दांतड़ली, धन धरती री धणियाप करै,

लाल धजा री आंण फिरै।

डिगमिग डोल रया रजवाड़ा, बड़ै राज रौ जोर गयौ,

ठाकर फिरै ठोकरां खाता, बडो रावळौ बिगड़ रयौ,

जाग गया धरती रा धायल, हुळस धारिये हाथ धरै,

लाल धजा री आंण फिरै।

सेठां री सैणप सड़ चाली, बात बिगड़गी बोहरां री,

चाल उकीली चवड़ै हुयगी, पोल खुली सा चोरां री,

अणभणिया आथड़बा ढूकै, धरती धूजै सूम डरै,

लाल धजा री आंण फिरै।

जूंझ रया अणगिणिया जुगां सूं, जग रा करसा और मजूर,

सींच धरा रातै लोही सूं, रंग दियौ धज नै भरपूर,

बंध काट परबस कमतरियां रै हिवड़ै में जोस भरै,

लाल धजा री आंण फिरै।

दूजा रंग बिणज रा बांना, रातौ रंग मजूरां रौ,

हाथ हथोड़ै-दांतड़ली में, बसियौ काळ हजूरां रौ,

निसंक चरै हळवांणी वाळा, दुसमण दळ भय खाय मरै,

लाल धजा री आंण फिरै।

हळवाळा तरवारां झेली, कळवाळा तोपां दागै,

दाव भूलग्या दळ-बळ वाळा, जीव छोड़ नै पड़ भागै,

धूड़ माजनौ धाड़वियां रौ, कमतरियां रौ काज सरै,

लाल धजा री आंण फिरै।

स्रोत
  • पोथी : गणेशीलाल व्यास उस्ताद व्यक्तित्व कृतित्व ,
  • सिरजक : गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद' ,
  • संपादक : लक्ष्मीकांत व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार ,
  • संस्करण : 1
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