कुम्हारां रै

इण बास मांय

माटी नै गूंथ-गूंथ

बणाइजै

नूंई-नूंई डिजाइन रा

भांत-भांत रा बरतण

इण नै ठा नीं

के विश्वकरमा रो

म्हारै साथै कांई सम्बंध है

बै

जाणै कै

प्रजापति कुवावणैरो

अरथाव ब्रह्माजी साथै

कांई है?

कुम्हारां रो बास

दिन रात

बणावता रैवै

बरतण भांत भांत रा,

आगलै उन्हाळै खातर

बणावता बरतण

आपस में बंतळ करै

अर हरखै

रोजी-रोटी रै सुवाद माथै।

चाण चक

कुम्हार रै चाक नै

लागगी नीजर

चाक री चाळ

अबै धीमी हुयगी,

इण बस्ती मांय

कैई नुगरा अर

हुसियार बौपारी

आय’र

लगाय लिन्यो है

कारखानो

माटी रै बरतणा रो

कारखानो दिनरात चाळै

अर बणावै —घणै बेग सूं

भांत-भांत रा बरतण।

बास मांय अबै

चाक रो धूमणो दिस्सै

अर हुवै खुड़का थापी रा

सुणीजै

दबड़क घोड़ियां री

कारखाने री ऊँची चिमनी

चिगावै

बस्ती रै कुम्हारां नै

अबै कारखानो

मालिक है

अर बास हाळा

बणग्या चाकर

कुम्हारां रै बास रा

हाथ ठाला

अर पेट खाली है।

कारखाने री कुरसी

करसी फैसळो कै

कत्ती रोटी

देणी इणनैं

जिण सूं

उण रा हाथ ठाला नीं रैवै

पण

पेट भरणै रो

जिम्मो कुरसी रो नीं

कुम्हारां रै बास री

चैळ पैळ बहीर हुयग्यी

अर सुनैड़ लागगी पसरण नै।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : श्याम महर्षि ,
  • संपादक : भगवतीलाल व्यास