“जै राम जी री”
जोर स्यूं कहद्यूं—तनै
कोरजाक
जी मैं तो—
आइ ही थणी’ई
पर देख्यो जद
वारसा री बीयाबान सूनी सड़क पर
दोयसै सनकादिकां रै सागे
ट्रेब्लिंका कानी ट्रेवल...के
उवाळै-उभाणै पगां
तो
म्है भूलग्या—‘राम’ ‘राम’
मूंडो अमूज ग्यो
अध खुला पल्लां स्यूं
पड़दां री ओट स्यूं
मोरियां रै मोरां स्यूं
वारसा देख्यो...
अै है है है...
वारिस एक डैण—
जावै है—
लावारिसां री वारसा मैं।
गोदी मैं नानकी
आंगळी पकड़्यां-ऊभरियो
कोट कपड़्यां-किसनियो
कै—धन
तेरी मां नैं
कोरजाक
एक तू ही जायो हो,
हां तो
देख्यो जद लैरै
‘मिनख मानवी’ री टेर मैं
गीत गांवती कतारां
मूळकता नानिया
उठता पगोलिया’र
निसर्या जद सामै स्यूं
धड़क्यो इसो काळजो
रुक्यों कोनी
आंख्यां पथरीजगी, दीस्यी कोनी
राऽऽऽम! राऽऽम!
तो कोरजाक...!
मां वां री कूख रो
ओ परसाद...?
बंधगी हिचक्यां
सुबकियां रो था’ह कोनी—क
ई परसाद नै पावण नै
जगती जग करै
तप करै
बरत राखै
पूगतां ई
गैस चैम्बर रो
निवाळो ई एक बणै कोनी
तो लाग्यो इस्यो—जाणै
इण—
छोटी सी कतार
सिस्टी री सांसां रोक नाखी—
गजब...
वाह-रै...
देखी जद
तेरी ईं सेविका
स्तेफानिया नै
सगळां स्यूं लैरे
थक्योड़ै दो दो टाबरां नै
गोद लियां—
भूखी तीसी
होठां पर फेकी...
फेरि’इ—
साबास, साबास...
चाळो, चाळो...
तो कोरजाक
दे द्यूं-दरजो
पन्ना रो स्तेफानिया नै
पण...
कटायो हो—एक
निज री कूख रो
पन्ना तो—
पराये जाम खातर
अ’र आ
स्तेफानिया तो ले’रै है
पराया जायां रै।
कै सुण लेवै
उक्श्लाग प्लातस
सुण लेवे-नाजी
कै-सुण लेवे हिटलर
गिण ल्यो—मैंने सुम्हळाया
कोरजाक
पूरा दोयसै है—सागै
अ’र आप भी है आगै—
कै हूं—तो
इत्तो जाणू हूं
यहूदी’र नाजी
हूल्ली दो कोमां
पर—
बाळकां री जात हुवै कोनी
तो—बाई पन्ना
माफ करीजै
तू राज बचायो हो
राज—यहूदियां पर कहर ढायो हो
पण खैर—वा बात तो बीती
पर आज बयाळीस रै साळ
अगस्त रै महीने
पिकनिक रै बहानै
जावै है—
लावारिस-मासूमियत
यन्त्रणा जीमण नै
हिटलर रै ट्रैब्लिंका रसोवड़ै मैं
तो-कोरजाक
‘जै रामजी री’ रहगी छेड़ै
थूक’ई गटीज्यो कोनी
म्हे तो के...
सूरज’जी पकड़ लियो माथो
भूंवीज ग्यो गिगन
नदियां री जीभ सूख’र
लागगी ताळवै
उलट ग्या
विधान विधना रा—कै
कूच कर् यो है—आज
लावारिसां
वारसां री—भूख मिटावण नै
जद-देख’र इ
देख सक्या कोनी—तो
बिना दिळांरी
नाजी फौजां रा खाड्डा
मतैई धड़क उठ्या
हुकम बजावणिया
हुकम रा ताबेदार भी
जाड़ी भींच’र
आंसुंआ आइ’है —कै
जुलम’र जालिम
दोन्यूं इ
रो उठ्या—एक’र
यतामा रै सामै।
तो—ओ—के
वा’ह वा’ह
एकै सागै
निभ’र बन्दूकां
धरती नै चुचकार लिंदी
देखि, कोरजाक
‘जैरामजी री’ तो दूर री बात
नाजियां
म्हां’सू पै’ली
‘राम’ ‘राम’ बोल दीनी
पण बात—एक सुणि ही
कै—तनै—एक के—
कह्यो हो—घणाइ जणां
लुका’ लेस्याँ—काढ़ देस्यां
मौत स्यूं बा’रै
तो बात—क्यूं मानी कोनी
पूछूं बीं स्यूं पै’ली
वाह...रै...डोकरै...बा’ह...
के बात कही—तूं डा. जानुस कोरजाक
‘अनाथालय’ एक देखरेख मैं
थोड़ो बो’त पढ़्यो लिख्यो
पोलैण्ड रो वासी कै
यतीम मेरी आंख्यां मैं झांक्या है
हूं मोटो यतीम हूं
तो गैस चैम्बर रै बारै
ढूंढसी जद च्यार सै आंख...
यो यतीम रो
उठ ज्यासी
र’यो ख’यो विस्वास
औरां स्यूं भी पैली
धन रै—कोरजाक
ट्रकां मैं ठुंस’र
टाबरी गै सागै—आछो पूग्यो
ट्रेब्लिंका...!
‘पाणी’…
बाबूड़ा होस’कर
‘रोटी’
कैं आंगली रो इसारो कर
बोल्या दोन्यूं—एक साथ
बस—अब पूग्या—
अब पूग्या—
बो’ रह्यो बारणो—
बो’ रह्यो बारणो—
थक ग्या जाका
मेरी गोदी आज्याओ
मेरी गोदी आज्याओ
खुल्यो जद गैस चैम्बर रो बारणों
तो खुसी ऊं नाच उठ्या
ताळ्यां बजावतां
सह दौड़ पड़्या...
ओह फादर, कोरजाक
सिस्टर, स्तेफानिया
बेगा हालो—
बेगी चालो—
तो बताद्यूं, कोरजाक
आ, दरिंदा रै दरवाजै माथै
मस्ती यतीमां री
का...
जालमा जुलम माथै
पै’लो तिलक हो
मानवी महक रो
तो—म्हारी ‘जय राम जी’ री
कोरजाक...
लेखनी
तू भूली ना
स्तेफानिया नै—अ’र
घणो—घणो प्यार देई
मोकळा—सिर पर हाथ फेरी
लावारिसां रै
अ’र जांवतां ई
पुगा देई
वारसा रै वारिस
बीं डोकरै नै
म्हारी—‘जै रामजी री’