ग्यान बध्यौ विग्यान बध्यौ हद

पण दीसै समझां रो टोटो

भणियौ जुग गुणियौ नीं भाई

कोरौ ग्यान समझ बिन खोटौ।

अणु शक्ति रा अस्त्र हाथ ले

मिनख मिनख नैं मारण धावै

टैंक तोप बंदूकां रे बळ

ग्यान आज विध्वंस मचावै

बिना समझ रे ग्यान आंधलौ

चाल रह्यौ गेडी रे सारै

पड़सी जाय खाड रे मांहीं

सगळौ जग आंधै रे लारै।

अकल समझ मिळियां विष्णु है

समझ हेकली ब्रह्म कहावै

कोरी अकल विनाशक शंकर

चेत जगत नर उल्टौ जावै

अकल हेम काळजै कसौटी

परख नरां पग आगै धरजौ

पगडांडी ठायै पूगासी

कवि री कथणी मती बिसरजौ।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : श्यामसुन्दर ‘श्रीपत’ ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
जुड़्योड़ा विसै