हुवै सफल

जकौ राखै विसवास

खुद रै ऊपर।

करड़ी जमीं नै

चीर'र नीसरै

कंवळी कूंपळ॥

स्रोत
  • सिरजक : घनश्यामनाथ कच्छावा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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