कूख रै सरणै आयोड़ौ जीव

कद जाणी ही कै

वौ ‘कन्या’ है!

फकत ‘कन्या’!

पण जद मसीनी जुग री

आज री मायड़

सोनोग्राफी करवाय’र

उणनै खलास करण वास्तै

त्यार हुगी

जणां समझ आई

उण जीव नै

के कन्या व्हेणौ

कितरौ बडौ पाप बणग्यौ

अर

उण कन्या

धरती पर आवण नै

त्यार जीवां नै

सनेसौ दिरायौ के

कळजुग रौ पहर चालै

आज बै मावां कोनी रैयी

जकी बण्या करती

स्रिस्टी री सिरजणहार

अबै जे

चावौ हौ धरती पर आणौ

तौ थांनै

लेणौ पड़सी सहारौ

किणी पंखेरू के

जिनावर री सरण रौ

अबै धरती पर अवतार सारू

देवतावां नै बणनौ पड़सी

पाछौ काछवौ, मांछली वराह...

अवतारां नै जलम देय सकै

बै मावां आज धरती पर कठै...

स्रोत
  • पोथी : आंगणै सूं आभौ ,
  • सिरजक : गीताश्री ,
  • संपादक : शारदा कृष्ण ,
  • प्रकाशक : उषा पब्लिशिंग हाउस ,
  • संस्करण : प्रथम
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