अब कोई सोधै

उण दिनां नै

जिका खुद

हाथां गमा दिया

जिण दिनां में होंवता

हेत अर प्रीत

नाच अर गीत

लीर-लीर कुड़ती में

धपटवों सुख

मा री गाळां

घी री नाळां

बाप री धोळ

ऐवड़ रा टोळ

कोनीं लाधै

अब मोकळो फिरोळ!

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 6 ,
  • सिरजक : हनुमान प्रसाद 'बिरकाळी' ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’
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