जे हुय जावै अगम्मवाणी
कै आज-आज ई रैवोला थे,
तो कांई करोला थे..?
कैवोला— थूक थारै मूंडै सूं...
कैवोला— इयां कदैई हुया करै है कांई!
मान लो कै काल नीं रैवूंला म्हैं
तो आज कांई-कांई कर दूं काम...
समझो ओ सवाल अेक कवि रो है,
कवि सूं बेसी अेक मिनख रो है।
आप नै क्यूं कोनी हुवै पतियारो
जद कै हुवण नै कीं पण हुय सकै आज
पग-पग अठै जमदूत बिराजै
ठाह नीं लागै कद किण नै गटक जावै!
उण छोरै रो कांई हो कसूर?
बो जावै हो स्कूल
दो आंक सीखण नै
उण बाप रो कांई हो कसूर?
बो जावै हो पूगावण छोरी नै स्कूल...
कूड़ी कोनी बात
पग-पग अठै जमदूत बिराजै।
म्हनै डर है कै कोई काम छूट नीं जावै
हुवण नै तो हुय जासी स्सौ-कीं
किणी रै आयां-जायां रुकै कोनी बगत।
समझो ओ सवाल अेक कवि रो है—
आज कांई-कांई कर दूं काम..?
कोई काम छूट नीं जावै..!
छूट नीं जावै कोई काम।