आं ईंटां रै

ठीक बिचाळै

पड़ी

काळी माटी नीं

राख है चूल्है री

जकी ही काळीबंगा में

कदै’ई चेतन

चुल्लै माथै

कदै’ई चेतन

चुल्लै माथै

कदै’ई तो

सीजतो हो

खदबद खीचड़ो

कोई तो हा हाथ

जका परोसता

घालता पळियै सूं घी

भे ळा जीमता

टाबरां नैं।

स्रोत
  • पोथी : आंख भर चितराम ,
  • सिरजक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण