कितरा दिन तईं थ्यावस राखां
कितरा ढहणा घर बाक़ी।
लोहीझिराण मोट्यारां रा
कितरा गिणना सर बाकी।
खादी खाकी जोरामरजी
सरपंची चौधर गाम चढी
जात पख में ढूंढा धोड़ै
जात-न्यात रै नाम चढी।
जमीर बेच’नै जात ओढली
बीजा बच्या बोटर बाकी।
कितरा ढहणा घर बाकी।
थारै जात, जमीं अर जाजम
म्हारै फगत अेक जूण बसर।
थारै सारू डगळ चिणियोड़ा
म्हारै सारू दुनिया घर।
थारो अहम ई तूट नीं जावै
म्हारै बचै खण्ड’र बाकी।
कितरा ढहणा घर बाकी।
जाति वाळो ज्हैर मरै नीं
खाया ज्हैर मरै लाडी।
जातिवादी नेता सूगला
अैलकार, बड़दी, गाडी।
घर नै भखतो खूनी पंजो
मरता नै बस मर बाकी।
कितरा ढहणा घर बाकी।
राजसत्ता रै दम्भ में मार्क्स
सिर सूं ल्या धरती पटक्यो।
सगळी भींत में दोय डगळिया
अेक आंगणै आ चटक्यो।
सांप अर नागनाथ सुण्या हा
इब पैंणां रो डर बाकी।
कितरा ढहणा घर बाकी।
राजनीति रा ‘वाद’ बावळा
इणां नै लादी ल्हाद बावळा।
रोज डाळियां-रूंखां बदळै
बांदरां माण्डी रांद बावळा।
‘लोक’ नित रो गळियां रुळतो
उणां रै हाथ ‘तंतर’ बाकी।
कितरा ढहणा घर बाकी।
इतियासां मांय गोता खायां
कवीसरां पड़ताळ घणी।
अबकाळै क्यूं चिप्या ताळवा
सबदां री हड़ताळ घणी।
नूंवा सामंत, लिखो पवाड़ा
छोड़ो क्यूं कोर-कसर बाकी।
कितरा ढहणा घर बाकी।
म्हारै बारणै म्हारा पुरखा
कीं री क्यूं आन-बान मरै।
पोस्टर, मूँछ, सिंह-नांव, घोड़ी
पण म्हारा जोध जुवान मरै।
भरी पंचायत माफी मांगो
घात, किस्यो समर बाक़ी।
कितरा ढहणा घर बाकी।
जेवड़ी बळगी बंट बळ्यो नीं
भूखी चौधर स्यान चढी।
बाँची भीमा कोरेगाँव नै
रैवै सूती, म्यान चढी।
अेक दाखलो छेकड़ दे दे
कितरा जुल्म अर डर बाकी।
कितरा ढहणा घर बाकी।
जात कुलखणी डाकण स्यारी
कितरा भख ले सूती है।
जीवणो है जे लुळ-लुळ जीणो
आ’ई रांद कसूती है।
धरती जे पसवाड़ो फोरै
लाम्बी बहोत डगर बाकी।
कितरा ढहणा घर बाकी।
कितरा गिणना सर बाकी।