बै पाणी रा पणघट गमग्या

बठै दूजा रंग चढग्या

आपां किता आगै बढ़ग्या

किता लिखग्या, किता पढ़ग्या।

इब रोही रो रोळो कोनी

बो गाडै रो गेड़ो कोनी

इब आपां मोटर चढग्या

किता लिखग्या, किता पढ़ग्या।

बूढिया खूणां में पड़ग्या

सगळां रै नूवां घर बणग्या

इब गवार तो कोनी आपां

जद इत्ता लिखग्या, इत्ता पढ़ग्या।

गळियां में सुनैड़ बाजै

कोई टाबर कोनी भाजै

मोटर साइकिल रा धुंवा उडग्या

किता लिखग्या, कित्ता पढ़ग्या।

इब पुरवा'ळा झोला

सोचै माणस कठै बड़ग्या

इब बैठण सारू टेम कोनी

जद इत्ता लिखग्या, इत्ता पढ़ग्या।

स्रोत
  • सिरजक : मोनिका गढ़वाल ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै