काया-

भाव-वोपार री दुकान!

बुद्धी-

बहसां रो मकान!

मिनखांजूण-

झूंठ रौ बखाण!

जगती-

कपट री ओळखाण!

बची किसी ठौड़-

जठै रैय सकै भगवान?

स्रोत
  • पोथी : जग रो लेखो ,
  • सिरजक : कुन्दल माली ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी