आपरी खुसी बांटण सूं
मिळै घणी खुसी
देवण सूं दूणो हुवै हेत
तो लो
बांट दी खुसी
दियौ अणथाग हेत
पण नीं मिळी
उण ने खुसी
नीं हुई उणां री चावनां कम
चाइजै हो कदास घणो
आस ही बेसी री
अर मिळियो नीं आधो
उण ने नीं है धाप
स्यात है म्हां सूं होड
अर हूं जकी उण रे सागै
बांट’र आधो भी हूं राजी
मुळकूं हूं
हां, खुस हूं...