रोज दाड़ौ रातर
मुं आपड़े आप नै
आणी दुनिया नी भीड़ मएं
होदवा नैकरी जऊं
मनै देखी नै
मानमी विशार करें
कुणैक उन्मादी हमजै
कुणैक प्रमादी हमजै
त कुणैक दार्शनिक हमजै
पण तोय मुं
वकत नै हातै हातै
हेण्डतो जई रयो हूं
हूरज नां ताप होदूं ,
शारे दिशा में होदूं ,
परमाणु में होदूं
अणु-अणु में होदूं
पण के आसार नती देखाता .
तोय मुं हिम्मत नै हास्यो
आशा नो दिवो लगाड़ी नै
हुता मन नै जगाड़ी नै
गरी-गरी घर-घर
एमस भटकतो रयो
एक वेरों असासूक
शान्ति थकी
एकले बैठे-बैठे
आत्म साक्षात्कार करयु
तारे घणी वार पूटे
वात हमज में आवी
पण एटला में
खूब दैर थई गई हती
नै जेणा रवि नै मु
होदवा जई रयो हतो
इत मारे आपडे मएंस है
नै मुं
हिरण कस्तूरी होदवा
नैकरी जाय
अेम शारी आडी
भटकतो रयो
मैं मारो
अणमोल वकत
खोई नाक्यो
अेम अेम बकत फीरी रोई नाक्यो।