मखमल सी धरती माथै

उभरता-पसरता बादळ

निसर ज्यावै

नित साव सूखा

गांव सूं निसरतै

अगूंणियै खेतां रै मारग माथै

कोनी दीसै हाल तांई

गाडां रा लिका

सूती पूर सीड़ैड़ा

पाणी आळा जरीकण

पड़्या है सफै रै मांय

चा-मिठाण आळा डबिया

बणण पर है

टाबरां रा खेलणिया

आज

कचरै आळी अराही

बाखळ मांय खड़ी

बाखड़ती गायां सूं

छेकड़ बूझ ही लियो

कै

खेत हर्‌या कद होसी..?

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी