लोक कैवै
खेजड़ी री जड़
पाताळ तांई हुवै
अर बा
पाताळ सूं
इमरत खैंच’र
भरै उन्याळै में
खड़ी रैवै
अर
हरी रैवै
पण
कांई ठाह तूं
कठै सूं
पावै इसो इमरत
कै
सारी उमर
भोर सूं सिंझ्या तांई
हरी रैवै।