बदळग्यो
चरखा के सैवड़ै बैठ्यां मनख को उणियारो
गांधीजी नै कतणो सूत कात्यो
कुणी तौल
सूत कातती दीखै जे भलो मिनख
ऊंनै बी सूत कातणी आवै कै न्हं आवै
कुण जाणै छै
सूत कातणौ बी कुण नै छै
सूत कातबा सूं बत्तौ जरूरी छै
सूत काततो दीखबो
दीखबो अेक
जरूरी सरत छै बाजार की
बापू
संदी जिनगाणी यांई रट्टी लगाया रहया
कै खादी गाबा कोई न्हं
अेक बच्यार छै
आप कै गोडै
खादी सूं दूजो कोई गाबो होवै तो बताओ
जीं पहण तांई लागै
कै आज गाबो न्हं
बच्यार पहण कै खड़यां छा घर-बारै।