कविता
नींद री गोळी नीं...
नीं है बा
गोळी बंदूक री!
कविता
म्हारै मन री खुराक है।
पांवडै रौ पड़ाव है
म्हारी कविता!
कुण जाणै औ पड़ाव
म्हारी जिंदगाणी रै
पूरण विरांम सूं
कीं न्यारौ-अळगौ है।
बठै तांई पूगणै खातर
मन्नै करणा पड़ै
कीं सवाल
जिण रौ उथळौ
इण मुलक नै
देवणो है।