आळस त्याग'र

काम तो कर सकां

धपाऊ धक्को-धक

पण कविता..

ना भाई

कविता तो ऊपजै

जिंयां फोगां-बांठा बिचाळकर

डचाब

का फेर ढळ ज्यावै

जिंयां टोकी आळै धोरै माथै सूं

झीणी-झीणी रेत

का फेर

तीसळ ज्यावै

जिंयां कादै मांय

भोळो पग।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी