आळस त्याग’र

काम तो कर सकां धपाऊ

धक्को-धक

पण कविता…

ना भाई!

कविता तो उपजै

जियां फोगां-बांठां बिचाळकर

डचाब

का फेर ढळ जावै

जियां टोकी आळै धोरै माथै सूं

झीणी-झीणी रेत

का फेर

तिसळ जावै

जियां कादै मांय

भोळो पग।

स्रोत
  • पोथी : ऊरमा रा अैनांण ,
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • संपादक : हरीश बी. शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम